दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चेक नागरिक से दुष्कर्म के आरोपी संजय मलिक उर्फ संत सेवक को जमानत देने से इन्कार कर दिया।
अदालत ने कहा कि एक महिला को किसी पुरुष के साथ रहने की सहमति देना कभी भी यह अनुमान लगाने का आधार नहीं हो सकता है कि उसने उसके साथ यौन संबंध बनाने की सहमति दी है।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि अभियोजिका की "स्थिति की सहमति" बनाम "यौन संपर्क की सहमति" के बीच एक अंतर को भी स्पष्ट करने की आवश्यकता है। केवल इसलिए कि एक अभियोजिका किसी पुरुष के साथ रहने के लिए सहमति देती है।
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