दरअसल, गांधी जी 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका मुंबई लौटे थे। अफ्रीका में गांधीजी को भाई कहकर पुकारा जाता था, लेकिन भारत में आते ही उन्हें "महात्मा की उपाधि मिल गई थी।
"राष्ट्रपिता" गाँधी जी को पहली बार "महात्मा" की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने नहीं, बल्कि गुजरात के सौराष्ट्र के जैतपुर गांव के लोगों ने दी थी। यह दावा इतिहासविद डॉ. महबूब देसाई की पुस्तक "गांधीजी ने अपालेया मानपत्र" के आधार पर किया जा रहा है।
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